आज की कविता: “सन्नाटे में आवाज़"

आज की कविता: “ख़बरों के बीच”

टीवी स्क्रीन पर चमकते हैं रंग-बिरंगे समाचार,
शहर रो रहा है, मगर कोई इसे सुन नहीं पाया।

बारिश की बूँदें गिर रही हैं, लेकिन लोग भीगते नहीं,
मन की गर्मी में हर खुशी अब नमी खो रही है।

सड़कें खाली हैं, पर दिल भर गए हैं सवालों से,
हर चेहरा मुस्कुराता है, पर आँखें कुछ कहती हैं।

दुनिया दौड़ रही है, और हम थम नहीं पा रहे,
लेकिन खामोशी में भी उम्मीद की किरण चमक रही है।

आज की खबरें हमें याद दिलाती हैं,
कि सबसे बड़ी लड़ाई हमारी अपनी संवेदनाओं के साथ है।

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