आज की कविता: “सन्नाटे में आवाज़”
सन्नाटे में भी कुछ कहानियाँ रहती हैं,
छिपी धड़कनों में, अनकही बातों में रहती हैं।
सड़कें सुनसान हैं, शहर सो रहा है,
पर दिल के कोने में कोई आग जल रहा है।
अंधेरी रात भी चुप नहीं है,
चाँद की रोशनी में कोई याद नहा रही है।
हम सुन नहीं पाते, पर महसूस जरूर करते हैं,
हर खामोशी में कोई दर्द बुन रहा है।
और शायद यही है हमारी कहानी,
सन्नाटे में भी, आवाज़ ढूँढ रही है अपनी निशानी
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